चित्तौड़गढ़ फ़िल्म सोसायटी और इसकी गतिविधियाँ
नमस्कार
प्रतिरोध का सिनेमा आन्दोलन के तहत ही चित्तौड़गढ़ फ़िल्म सोसायटी का गठन किया गया है और हम बताना चाहते हैं कि यह साल 2006 में गोरखपुर में शुरू हुआ एक जन सिनेमा केन्द्रित आन्दोलन है जिसमें आम आदमी के जीवन से जुड़े मुद्दों पर बनायी गयी प्रतिरोध की फिल्मों का छोटे समूहों में प्रदर्शन किया जाता है। यथासंभव प्रदर्शन के बाद चर्चा और आपसी संवाद से हमारे समाज और देश-दुनिया के ज़रूरी मुद्दों पर बहस की जाती है। यह सबकुछ हम देश के प्रतिबद्ध फिल्मकारों और सिनेमा के जानकार लोगों को साथ लेकर आज की युवा पीढ़ी और समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के बीच जाकर करते हैं। हमारा प्रयास रहता है कि अमूमन मासिक स्क्रीनिंग करते रहे ताकि समूह के साथी मिलकर अपनी बहसों के माध्यम से समसामयिक मुद्दों के प्रति अपनी समझ को बेहतर दिशा में बढ़ा सकें। यह आन्दोलन देश के कई शहरों में अभी तक लगभग चालीस बड़े उत्सव आयोजित कर चुका है और इसकी कई इकाइयाँ अपने सक्रीय साथियों के निस्वार्थ सहयोग से संचालित भी है। उसी में से एक उदयपुर फ़िल्म सोसायटी भी एक है जो हमारे सबसे करीब के शहर में है।
हमने चित्तौड़गढ़ में भी सार्थक माहौल निर्माण करने और राष्ट्रीय स्तर पर सराही गयी गंभीर फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन करते हुए उन पर चर्चाओं के अवसर जुटाने का मन बनाया है। हमारे शहर के कुछ रुचिशील साथी लगातार कुछ वर्षों से उदयपुर फ़िल्म फेस्टिवल के आयोजन से सीधे प्रभावित हुए हैं। वैसे हम फिलहाल मासिक फिल्म स्क्रीनिंग के लिए काम कर रहे हैं मगर फिर भी सोचते हैं कभी चित्तौड़गढ़ फ़िल्म सोसायटी का यह अनौपचारिक समूह आपस के छोटे-छोटे आर्थिक सहयोग से चित्तौड़गढ़ फ़िल्म फेस्टिवल और सेमीनार का भी आयोजन करेगा। जब भी संभव होगा एक सामलाती आयोजन होगा जहां सभी प्रगतिशील मित्र मिलकर आपसी चर्चा और संवाद से अपनी दिशा डे सकेंगे। चित्तौड़गढ़ जैसे मझले शहर के लिए यह अपनी तरह के नए आयोजन होंगे जो समाज के लिए बेहद ज़रूरी जान पड़ते हैं। सही कहे तो यह कोई इवेंट नहीं होकर एक संगत होगी जहां हमें देश के उन फिल्मकारों के साथ विमर्श का एक मौक़ा मिल सकेगा जो अपनी प्रतिबद्धता की वजह से जाने जाते हैं।
चित्तौड़ में यह समूह अगस्त 2014 से ही अपनी गतिविधियाँ कर रहा है। एक्टिविस्ट फिल्मकार संजय जोशी इस यात्रा के संस्थापक संयोजक हैं। देश के कई नामी दस्तावेज़ी फिल्मकार इस आन्दोलन में निस्वार्थ ढ़ंग से अपना अहम रोल अदा कर रहे हैं। और कहें तो असल में यह आन्दोलन जन सिनेमा के कोंसेप्ट पर काम कर रहा है जहां एक तरफ इस सिनेमा में जनता ही के आर्थिक सहयोग से इसे बहुत कम संसाधनों के बीच सबकुछ संभव हो पाता है। छोटे-छोटे कस्बों तक अपने विचार को फिल्मों के ज़रिये ले जाने का काम कर रहा प्रतिरोध का सिनेमा असल में देखें तो पॉपुलर सिनेमा कल्चर के बरक्स हमें हमारे ही यथार्थ से वाकिफ कराने की एक छोटी मगर ज़रूरी कोशिश है जो आपके साथ होने से ही आगे बढ़कर बड़ी होगी। आप में से जो साथी इस आन्दोलन से जुड़ना चाहें अपनी सहमती दें और आर्थिक सहयोग भी क्योंकि यह आन्दोलन किसी बड़े कोर्पाेरेट घराने और ग़लत पूंजी के सपोर्ट को नकारता रहा है। अगर आप कोई शैक्षणिक संस्थान संचालित करते हैं तो आप कुछ ज़रूरी संसाधन और अतिथियों के आवास,भोजन और यात्रा व्यय आदि में हमारी सहायता करके भी इस समूह से जुड़े आयोजन अपने विद्यार्थियों के कर सकते हैं। वैसे इस अनौपचारिक पत्र को भी आप हमारे समूह की तरफ से पहली अपील ही समझिएगा। अपने मुद्दों के साथ ठीक से न्याय करने के लिहाज से आयोजन की प्रतिबद्धता ही इसे सहज और साधारण ढ़ंग देती हुई हमें विमर्श की तरफ ले जायेगी ऐसा हमारा मानना है। आपकी प्रत्यूत्तर की प्रतीक्षा में।
भवदीय
Convener
Cinema of Resistance Chittorgarh
Facebook Page:www.facebook.com/ChittorgarhFilmSociety
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